आई नोट , भाग 39
अध्याय 7
डिसाइड तुम्हें करना है
भाग 3
★★★
शाम के 7:00 बजे मानवी घर पर आई और सामान सोफे पर रखकर अपने लिए चाय बनाने लगे। चाय बनाने के बाद उसने उसे कप में लिया और सोफे पर बैठ कर उसे पीने लगे। चाय पीते हुए वह इस बारे में सोचने लगी कि अपने पति को पार्टी में कैसे लेकर जाए। यह उसके लिए कोई आसान काम नहीं रहने वाला था।
तभी उसके दरवाजे की घंटी बजी। घंटे के बजते ही मानवी दरवाजे की तरफ देखने लगी। घंटी फिर से बजी तो वह उठकर दरवाजा खोलने के लिए चल पड़ी। दरवाजा खोला तो उसे सामने अपना पति दिखा।
“आप... आप आ गए...”
“हां।” शख्स ने कहा और उसके सामने से चलते हुए सोफे पर जाकर बैठ गया। वहां उसने मानवी की चाय देखी तो वो उसे उठाकर पीने लगा। चाय पीते हुए उसने अपने मन में कहा “वाह, आजकल यह चाय तो अच्छी बनाने लगी है।”
मानवी आई और पास आकर पूछा “चाय कैसी बनी है?”
“अच्छी बनी है।” शख्स ने जवाब दिया। इसके बाद उसने कहा “लगता है मुझे भी अबसे चाय पीना शुरू कर देना चाहिए। चाय इतनी भी बुरी नहीं होती।” इतना कहकर उसने अपने चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई।
मानवी मुस्कुराहट देखकर समझ गई कि उसके पति का मूड अब ठीक है। कम से कम इतना तो ठीक है कि वह उसकी कोई भी बात सुन सके।
मानवी ने टेबल पर खाली बर्तन उठाए और बर्तन उठाते हुए पूछा “क्या आप की स्टोरी पूरी हो गई?”
“हां तभी तो घर पर आया हूं। अच्छा हुआ मैंने कुछ दिन तुमसे अलग रहकर अपनी स्टोरी पर ध्यान दिया। इस वजह से स्टोरी भी अच्छी बन गई है और उसमें मुझे किसी तरह लुप होल भी दिखाई नहीं दे रहा। फिर अगर लूप होल हुआ भी तो पब्लिशर के रिव्यु के बाद कहानी को दोबारा लिख दूंगा। अक्सर एक कहानी को बढ़िया बनाने के लिए उसे दो से तीन बार लिखना पड़ता है, अपनी पहली कोशिश में कोई भी लेखक बढ़िया कहानी नहीं लिख पाता।”
“मतलब इसमें तो काफी मेहनत करनी पड़ती है।” मानवी दोबारा अपनी पहले वाली बात पर शुरू हो गई “लेखक होना कितना मुश्किल काम है ना।”
उसके पति ने भी इस बात को समझा, इस बात को समझते ही उसने अपने चेहरे पर हल्की गंभीरता वाले भाव दिखाए और मानवी से कहा “अब तुम फिर से अपने पुराने वाले टॉपिक पर मत शुरू हो जाना, मैंने बड़ी मुश्किल से उसे अपने दिमाग से निकाला है, कहीं ऐसा ना हो कि तुम उसकी दोबारा बात करो और मेरा ध्यान फिर से उसी टॉपिक पर चला जाए।”
“नहीं नहीं मेरे कहने का वह मतलब नहीं था।” मानवी समझाते हुए बोली और वही अपने पति के पास बैठ गई “मैं तो यह कह रही थी कि लिखना सच में कितना मुश्किल काम होता है ना, यह हर कोई नहीं कर पाता, मैं तुम्हें कम नहीं आंक रही, बल्कि मुझे तो अब उल्टा सच्चाई पता चली है। मुझे पता चला है कि लेखक अपने आप में अलग होते हैं।”
“यह आज सूरज कहां से निकला है...” शख्स उसकी तरफ देखता हुआ हैरानी से बोला “तुम बस कुछ ही दिनों में कैसे बदल गई?”
“वह तुम्हारे जाने के बाद ही मुझे इस बात का अहसास हुआ कि हर प्रोफेशन अलग अलग होता है।” मानवी उसके और पास हो गई। “हम एक प्रोफेशन को कभी भी दूसरे प्रोफेशन से जोड़ कर नहीं देख सकते।”
“अगर यह बात तुम कुछ दिन पहले समझ जाती तो मेरी कहानी यहां घर में ही पूरी जाती, ना कि मेरे वेयरहाउस में, वहां लिखने की वजह से मैंने कहानी में कुछ क्राइम ऐसे भी डाल दिए हैं जिन्हें मुझे नहीं डालना चाहिए था।”
“तो क्या हुआ, यह तो अच्छी बात है ना, लोगों को क्राइम पसंद है,” मानवी ने शख्स के दोनों हाथों को पकड़ा और उसे खुद पर लपेट लिया। “फिर अगर ऐसी कहानी मार्केट में आएगी तो अपना अलग ही रिकॉर्ड बनाएगी।”
“बिल्कुल,” शख्स ने कहा “मैंने जो कहानी लिखी है वह लोगों ने कभी नहीं पढ़ी होगी। तुम्हें कहानी सुनाऊं...” शख्स ने अपने दोनों हाथों को पीछे किया और एक्साइट होते हुए कहा।
“नहीं नहीं अभी नहीं...” मानवी सामने से मना करते हुए बोली, उसे अपने पति के साथ कहानियों पर डिस्कस नहीं करना था, बल्कि उसे पार्टी को लेकर बात करनी थी। “अभी मेरा सर दुख रहा है तो हम बाद में इस बारे में बात करेंगे। आई मीन तुम मुझे बाद में अपनी कहानी के बारे में बताना।”
“सर दुख रहा है मगर क्यों...” शख्स ने मानवी को अपने पास किया और उसे प्यार से गले लगाते हुए उससे पूछा।
मानवी कुछ सोचने लगी। सोचते हुए उसने कहा “वो तुम्हें पता है ना मैं कंपनी में जॉब करती हूं,”
“हां, और उसकी परमिशन मेंने हीं तुम्हें दी थी।”
“तो वहां हमारे बॉस ने एक नई कंपनी खरीदी है। नई कंपनी को खरीदने के बाद वह उसकी ओपन सेरेमनी करवाने जा रहे हैं। ओपन सेरेमनी में उन्होंने अपने ऑफिस में काम करने वाले लोग और उनके फैमिली मेंबर को बुलाया है। उन्होंने कहा है कि फैमिली मेंबर का साथ आना काफी ज्यादा जरूरी है। फैमिली मेंबर में अगर पैरंट्स है तो पैरंट्स, और अगर हस्बैंड वाइफ है तो हस्बैंड वाइफ... ”
“अच्छा आगे...”
“आगे क्या बस इतनी सी बात है। पार्टी है, मेरी फैमिली में तुम हो यानी कि मेरे हस्बैंड, तो मैं बस इसी चीज को लेकर टेंशन में हूं कि तुम जाओगे या नहीं, और इसी टेंशन की वजह से मेरा सर दुख रहा है।”
“तुम्हारी कंपनी के बॉस आशीष के पास तो पहले से ही कंपनी थी, फिर उसे एक और कंपनी खरीदने की क्या जरूरत थी।” शख्स मानवी के बालों में हाथ फेरता हुआ बोलो।
मानवी अपनी कोशिश को आगे बढ़ाते हुए बोली “वह काफी अमीर है। इतने अमीर की कोई भी चीज खड़े-खड़े खरीद लेते है। उसके लिए यह सब बाएं हाथ का खेल है।”
“हां यह तो सही कहा तुमने। अमीर लोगों की भी अपनी ऐश है। काफी सारे ऐसे काम है जहां अमीर इंसान एक आम इंसान से सौ गुना ज्यादा आगे रहता हैं।”
“काफी सारे क्या...” मानवी अपने पति की यह बात सुनते ही बोली “अमीर लोग ऑलमोस्ट हर चीज में आम इंसान से काफी आगे रहते हैं। उनके तो काम करने के तरीके भी अलग होते हैं। हर एक तरीका ऐसा होता है जिसके बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।”
“कल्पना...” शख्स मुस्कुराया “तुम्हें पता है ना कल्पना वाले मामले में कोई भी लेखक को टक्कर नहीं दे सकता। एक लेखक जो कल्पना करता है वह कोई भी नहीं कर सकता। एक अमीर इंसान भी नहीं।”
“हां मगर इसके बावजूद लेखक और अमीर इंसान में फर्क है। लेखक जो भी करता है वह सिर्फ अपनी कल्पना में करता है, जबकि अमीर इंसान को कुछ करना हो तो वह उसे असली जिंदगी में भी कर सकता है।” मानवी खुद में ही खोई हुई बोली।
मानवी की इस बात ने शख्स को सोचने पर मजबूर कर दिया। शख्स बोला “तुम कुछ दिन बाहर क्या गई काफी गहरी बातें करने लग गई, मतलब क्या बात कही है, मैं खुद तुम्हारी इस बात से इंप्रेस हो गया। देखना अभी मैंने कभी कोई कहानी लिखी तो तुम्हारी इस बात को जरूर मैंशन करूंगा। और लोगों को भी यह साफ साफ बताऊंगा कि यह बात तुमने कही है। हाएएए मेरी इंटेलिजेंट बिवी” उसने मानवी के माथे को चूमा।
जैसे ही शख्स पीछे हुआ मानवी दोबारा पार्टी पर जाने वाली बात पर आते हुए बोली “अच्छा आपने यह तो बताया ही नहीं कि आप पार्टी पर जाओगे या नहीं, जिस वजह से मेरा सर दुख रहा है, कम से कम उसका तो सलूशन कर दो...”
“नहीं मानवी, तुम जानती हो ना मुझे बाहरी दुनिया के इस तरह के दिखावे पसंद नहीं आते। यह सब चीजें मुझे काफी बेकार लगती। मुझे नहीं लगता मैं तुम्हारे साथ पार्टी पर चलूंगा।”
“मतलब आपको मुझसे प्यार नहीं।” मानवी किसी बच्चे की तरह मुंह बनाते हुए बोली “आप मुझसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते।”
शख्स ने मानवी की तरफ मोटी आंखें दिखाई और उसके मासूम चेहरे को देखते हुए कहा “अब यह तुम्हारी पार्टी में जाने वाली बात में मेरा प्यार कहां से आ गया। तुम मेरे प्यार के बारे में सिर्फ इस बात से पता नहीं लगा सकती कि मैं पार्टी में जाऊंगी या नहीं।”
“ऐसी छोटी-छोटी बातों से ही प्यार का पता चलता है।” मानवी अपने पति से अलग होते हुए बोली “एक पति के अपने पत्नी से प्यार का मतलब है उसे हर तरह से खुश रखना। उसे छोटी छोटी खुशियां देना। आप मेरे साथ पार्टी पर भी नहीं जा सकते। बताओ मैं इससे ज्यादा आपसे और क्या एक्सेप्ट करुं। यहीं से पता चलता है कि आपको मुझसे प्यार नहीं। अगर है भी तो वह थोड़ा बहुत है ज्यादा नहीं।”
“अच्छा....” शख्स ने गुस्सा दिखाने की बजाय प्यार दिखाया “और अगर मैं पार्टी पर जाने के लिए मान जाता हूं तो मतलब मुझे तुमसे प्यार है। वाह बेटा क्या बात है।”
“जी हां, जो भी है बस यही बात है, अब बताओ आपको पार्टी पर जाना है या नहीं।”
“अच्छा अगर मैं पार्टी पर जाऊंगा तो क्या तुम्हें खुशी मिलेगी” शख्स ने मानवी की आंखों में आंखें डालते हुए पूछा।
मानवी अपने बालों को पीछे की तरफ करते हुए धीरे-धीरे शख्स की तरफ आने लगी। उसने शख्स की तरफ आते हुए कहा “अगर तुम मेरा जवाब सुनो, तो मैं कहूंगी, बहुत ज्यादा”
वह शख्स के काफी करीब आ गई थी। शख्स ने उसे एक झटके में अपने पास किया और बाहों में लेते हुए कहा “अगर ऐसा है तो ठीक है, चलते हैं पार्टी में..”
“क्या सच में...” मानवी ने शख्स के चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा “क्या सच में आप पार्टी में जाने के लिए तैयार हैं?”
“हां तो क्या झूठ मूठ का भी कुछ होता है। अगर मैं कह रहा हूं तो सच में ही जाऊंगा ना।”
मानवी हंस पड़ी। वही शख्स ने उसका माथा चुमा। माथा चुमने के बाद वह बोला “चलो, अब आशीष से मुलाकात कर ही ली जाए।”
★★★